Thursday, July 03 ,2025

जानिए टाइप 4 डायबिटीज होने के पीछे कही कारण वजन तो नहीं है?


type 4 diabetes in hindi

डायबिटीज आज के समय में बहुत से लोगों को है। यह कोई आम सामान्य नहीं है इसके कारण व्यक्ति को बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके भी कई चरण है और आज हम इस ब्लॉग के जरिए टाइप - 4 डायबिटीज के बारे में विस्तार से बात करेंगे। टाइप 4 डायबिटीज कम-जांच की जाने वाली लेकिन अभी भी डायबिटीज का एक अनौपचारिक वर्गीकरण है जो किसी व्यक्ति के "वजन या शरीर द्रव्यमान" से प्रभावित नहीं होता है।

यह स्थिति उन लोगों में प्रचलित है जिनका ज्यादा वजन या मोटापा नहीं है। यह समस्या वृद्ध वयस्कों में निदान किया जाता है और यह अक्सर पर्यावरणीय कारकों, आहार, जीवनशैली आदि के सहित कई अन्य कारकों का परिणाम भी शामिल होता है।

टाइप - 4 डायबिटीज क्या है? (What is Type-4 Diabetes in hindi?)

डायबिटीज के बारे में जब बात होती है तो अक्सर यही बात सामने आती है कि डायबिटीज एक ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया है या फिर यह कभी-कभी खराब जीवनशैली कारकों की वजह से भी हो सकती है। लेकिन, इन दोनों ही प्रभावों के बिना किसी व्यक्ति को डायबिटीज कैसे हो सकता है?

2015 का एक अध्ययन हुआ था जिसमें यह पहली बार सामने आया था कि उम्र बढ़ने और डायबिटीज के बीच एक संबंध पाया गया था। जिसको बाद में टाइप - 4 डायबिटीज के रूप में वर्गीकृत किया गया था। ऐसा माना जाता है कि इस संभावित रूप से कम पहचाने जाने वाले डायबिटीज के प्रकार का मुख्य कारण शरीर का इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध करना है। यह ज्यादा उम्र के लोगों में अधिक होता है, इसलिए युवा लोगों में आमतौर पर इस प्रकार के डायबिटीज का निदान नहीं किया जाता है।

टाइप - 4 डायबिटीज के क्या कारण हैं? (What are the causes of type 4 diabetes in hindi?)

जैसा आपको ऊपर ही बताया था कि टाइप-4 डायबिटीज का अभी भी एक अनौपचारिक वर्गीकरण ही है। इसके बारे में ज्यादा जानकारी कही उपलब्ध नहीं है। इस स्थिति के पीछे अनुसंधान अभी शुरू ही हुआ है और 2015 में चूहों पर इसका पहला पूर्व-नैदानिक ​​परीक्षण भी किया गया था। वैसे तो शोधकर्ताओं का मानना यह है कि इस स्थिति की शुरुआत में इंसुलिन प्रतिरोध प्राथमिक योगदान कारक होता है, टाइप -4 डायबिटीज को वास्तविक कारणों को समझने के लिए और अधिक निर्णायक शोध व नैदानिक ​​परीक्षण किए जाने की जरूरत है।

2015 में हुए अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं ने की खोज में पाया गया कि शरीर में नियामक टी कोशिकाओं (प्रतिरक्षा कोशिकाओं) का अत्यधिक उत्पादन और उपलब्धता के कारण ही टाइप - 4 डायबिटीज की शुरुआत के एक कारण होता है। अतिरिक्त टी-कोशिकाओं के व्यक्ति की उम्र बढ़ने से भी जुड़ी हैं। वैसे तो, यह प्री-क्लिनिकल ट्रायल (चूहों से) का जवाब था, लेकिन किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले और ह्यूमन ट्रायल की जरूरत होगी।

टाइप 4 डायबिटीज़ और फैटी लिवर के बीच संबंध को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता जानिए अंग्रेजी में Fatty Liver in Indians: Causes, Risks & Early Detection

टाइप - 4 डायबिटीज के क्या लक्षण हैं? (What are the symptoms of type 4 diabetes in hindi?)

डायबिटीज, अलग-लग प्रकार होने के बावजूद भी लक्षणों का एक समान ही पैटर्न है। वैसे ही, टाइप -4 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में वही लक्षण दिखाई देंते हैं जो टाइप - 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में दिखाई देते हैं। कुछ सबसे आम लक्षणों में शामिल हैं:-

  • थकान रहना

  • अत्यधिक प्यास का लगना

  • धुंधली दृष्टि

  • अत्यधिक भूख लगना

  • घावों क् जल्दी न भर पाना

  • जल्दी जल्दी पेशाब आना

  • अचानक से वजन कम हो जाना (वज़न बढ़ाने के सेहतमंद उपायों के लिए यह लेख ज़रूर पढ़ें ।)

ध्यान रखें कि अगर आप बताएं हुए कोई भी लक्षण नज़र आ रहे हैं तो मतलब यह नहीं है कि आपको टाइप-4 डायबिटीज है या फिर किसी अन्य प्रकार का डायबिटीज है। यह लक्षण अन्य परिस्थितियों से भी जुड़े हो सकते हैं जिनका आप में निदान नहीं किया जा सकता होगा। अगर आपको वजन बढ़ने की समस्या है, तो यह जानना ज़रूरी है कि मोटापा कैसे डायबिटीज़ का कारण बन सकता है।

टाइप - 4 डायबिटीज का कैसे करें इलाज? (How to treat type 4 diabetes in Hindi?)

टाइप - 4 डायबिटीज का अभी भी अनुसंधान और परीक्षणों में प्रारंभिक चरण में है। इसमें हैरान होने वाली कोई बात नहीं है कि इस स्थिति का निदान बहुत ही कम किया गया है। इसका कोई एक आधिकारिक निदान नहीं है जो अधिकांश डॉक्टर आपको अपॉइंटमेंट मिलने पर ही देंगे।

टाइप - 4 डायबिटीज की इतनी कम समझ के साथ, शोधकर्ताओं का यह मानना ​​​​है कि इलाज की पहली पंक्ति हाई ब्लड शुगर लेवल को स्थिर करने से ही संभव होगी। साल्क सेंटर एफएक्यू की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि शोधकर्ता आज ले समय यानी वर्तमान में इस स्थिति के लिए दीर्घकालिक इलाज के विकल्पों को तलाश रहे हैं। यह शरीर में मौजूद अतिरिक्त टी-सेल उत्पादन से जुड़े होने की वजह से, इसको प्राथमिक ध्यान एंटीबॉडी दवाई को विकसित करने मीन मदद मिलती है, जो टी-सेल उत्पादन को नियंत्रित करने में भी मददगार है। अगर आपको टाइप 4 डायबिटीज़ के बारे में जानना है, तो पहले सामान्य डायबिटीज़ की समझ होना ज़रूरी है।

टाइप -2 डायबिटीज के विपरीत, जहां पर डॉक्टर स्वस्थ खाने और वजन कम करने के तरीकों के सुझाव देते हैं, लेकिन वही यह सब टाइप - 4 डायबिटीज के साथ बिल्कुल लागू नहीं होते है क्योंकि वजन से जुड़े मामले परेशान करने वाले नहीं होते हैं। वैसे तो इस बात का कोई भी सबूत मौजद नहीं है कि शरीर में अतिरिक्त नियामक टी-कोशिकाओं को कम करने पर वजन घटाने का एक सही और सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यदि आप वजन कम करने के तरीके ढूंढ रहे हैं, तो Ozempic से जुड़ी जानकारी आपके लिए उपयोगी हो सकती है।

क्या टाइप - 4 डायबिटीज को रोका जा सकता है? (Can type 4 diabetes be prevented in hindi?)

अगर इस बारे में बात की जाए तो टाइप - 4 डायबिटीज को समझना बहुत ही सीमित होगा, जिसका मतलब है कि एक प्रभावी निवारक उपाय का बताना व्यर्थ होगा। यह स्थिति सीधे तौर पर एक व्यक्ति की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया से जुड़ी हुई है लेकिन यह कहना भी कठिन ही होगा कि क्इस स्थिति को क्या अपने उन्नत चरणों में बढ़ने से रोका जा सकता है। इस स्थिति के बारे में निष्कर्ष निकालने के लिए अभी और भी अधिक अध्ययन व शोध की जरूरत है, जिससे संभावित रूप से इस समस्या को अच्छे से रोकने में क्या मदद मिल सकती है यह पता चल जाए।

डायबिटीज़ के सही डायग्नोसिस के लिए HbA1c Test कितना ज़रूरी है, जानें इस अंग्रेजी ब्लॉग में।

डायबिटीज के अन्य कुछ अनौपचारिक वर्गीकरण क्या हैं? (What are some other informal classifications of diabetes in hindi?)

डायबिटीज के प्रकार में सिर्फ एकमात्र टाइप - 4 डायबिटीज ही अनौपचारिक प्रकार का डायबिटीज नहीं है, जिसके बारे में लोग अनजान हैं। बल्कि ऐसे भी कुछ अनौपचारिक प्रकार का डायबिटीज हैं जैसे कि टाइप - 1, टाइप - 2 और जेस्टेशनल डायबिटीज आदि। वैसे तो 6 अन्य प्रकार के डायबिटीज अभी भी अनुसंधान के प्रारंभिक चरण पर हैं, लेकिन विश्व स्तर पर मरीजों पर बुरा असर डालने के लिए काफी प्रचलित भी हैं। वे सम्मिलित करते हैं:

युवाओं में परिपक्व अवस्था में होने वाली मधुमेह (एमओडीवाई) (Mature onset diabetes of the young -MODY)

यह मरीज में आनुवंशिक परिवर्तन का एक प्रत्यक्ष परिणाम है। जिसमें आमतौर पर परिवार में चलती आ रही है यह समस्या एक आम है। इसके सिवा, इसका इलाज मरीज के 25 वर्ष की आयु से होने से पहले हो सकता है।

नवजात में डायबिटीज (Neonatal diabetes)

टाइप -1 डायबिटीज के विपरीत में आमतौर पर छोटे शिशुओं व बच्चों में निदान किया जाने वाला एक ऑटोइम्यून विकार, नवजात डायबिटीज का आनुवंशिक परिवर्तन का एक प्रत्यक्ष परिणाम के रूप मीन मौजूद है। वैसे तो, 6 महीने से कम उम्र के शिशुओं में निदान किया जा सकता है। साथ ही इस स्थिति में शिशु में बाधित इंसुलिन उत्पादन के कारण भी हो सकते हैं।

टाइप 3 सी डायबिटीज

यह डायबिटीज अक्सर अन्य कोई पुरानी बीमारियां जैसे अग्नाशयशोथ, अग्नाशय के कैंसर, सिस्टिक फाइब्रोसिस आदि के कारण हो सकती है।

स्टेरॉयड-प्रेरित डायबिटीज

स्टेरॉयड-प्रेरित डायबिटीज (steroid-induced diabetes) कि समस्या तब होती है जब मरीज के शरीर में अन्य स्थितियों का प्रबंधन करने के लिए कोई स्टेरॉयड का सेवन करना पड़ रहा हो। स्टेरॉयड इंसुलिन सहित शरीर में हार्मोनल संतुलन पर बुरा असर डालते हुए उनको प्रभावित करता है।

मोनोजेनिक डायबिटीज

यह मोनोजेनिक डायबिटीज (Monogenic Diabetes) एक ऐसी श्रेणी है जिसमें शरीर में अनुवांशिक बदलावों की वजह से होने वाले किसी भी प्रकार के डायबिटीज पर चर्चा की जा सकती है।

वयस्कों में अव्यक्त ऑटोइम्यून डायबिटीज

यह एक प्रकार का डायबिटीज है जो वयस्कता में शुरू होता है और धीरे-धीरे विकसित होता चला जाता है। यह टाइप 1 और टाइप 2 दोनों ही डायबिटीज के कुछ पहलुओं को साझा करते हुए, इसे टाइप 1.5 डायबिटीज के का नाम डिया गया है।

नोट :

टाइप -4 डायबिटीज के बारे में अभी शोध जारी है इसलिए इसका निदान अभी भी मुश्किल ही है। आप शुरुआती चरण में ही डायबिटीज की समस्या को समझे और लक्षणों पर ध्यान देते हुए इसको बढ़ने से रोके।

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